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Saturday 6 August 2011

कुछ शेर दोस्ती के लिए

सिवाय आपसे  जैसे यारों के मेरे पास क्या है
आपने ही तो बताया यारी का अहसास क्या है
खून के  रिश्ते तो आज ज़हर उगलने लगे है
कहो दोस्ती से बढ़कर रिश्ता  खास क्या है
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जो करते नही खिलवाड़ दोस्ती के साथ
उन यारो को लेता हूँ संजीदगी के साथ
धोखा फरेब और मक्कारी के युग में  
कैसे कर लू दोस्ती हर किसी के साथ
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धडकनों को आँखों को, ना किसी का इंतज़ार हुआ
उसकी बे-वफाई के बाद, ना कोई मेरा यार हुआ
चाह कर भी ना बन सका मन का मीत कोई  
कहने को तो कई चेहरों में उसका दीदार हुआ
.............................................................कुछ शेर दोस्ती के लिए 
बनके लहू जो यार रगों में दौड़ते है
वो जिंदगी में इक मकसद जोड़ते है
शक में डूब जाती है उनकी हर बात  
जो लोग दोस्ती में भरोसा तोड़ते है



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