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Tuesday 31 July 2012

आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा

मन तो अपना कबका उड़ चुका बाकि
उसका अहसास है की छोड़ नही रहा

बकाया है इश्क की आखरी रिवायत
वो पूरी तरह से दिल तोड़ नही रहा

सोच क्या है किसी हद तक गिर सकती है
विचारो का आज कोई निचोड़ नही रहा

गुज़रा है ऐसी संकरी गलियों से जहन
जिंदगानी में अब ढंग का मोड़ नही रहा

तैयार है जवाब हर किसी का बेचैन
आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा

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