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Saturday 24 November 2012

या तो शराब में तैरकर तेरा गम निकलेगा


या तो शराब में तैरकर तेरा गम निकलेगा
वरना तब तक पीऊंगा ना जब तक दम निकलेगा

मेरे बाद, जमाने के साथ तुम भी देखोगे
फिर कभी ना तेरी जुल्फों-सोच का खम निकलेगा

इसलिए बैठ गया हूँ साँझ ढलते ही पीने
आखरी जाम के साथ में रंजो-अलम निकलेगा

आज काबू से बाहर हो चला है दर्दे बेबसी
शायद इस दिल के धडकने का भ्रम निकलेगा

बेचैन रूह को चाँद सी ठंडक बख्शने वाले
नही सोचा था तेरा लहजा यूं गरम निकलेगा

खम= उलझन

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