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Saturday 24 November 2012

बहर-ओ-वजन में ख्याल कम तोलता हूँ

आज मेरे एक शायर दोस्त के चेले से तीखी गुफ्तगू हुई तो लिखने पर मजबूर हुआ ..........

बहर-ओ-वजन में ख्याल कम तोलता हूँ
मैं तो सीधे सीधे मन की बात बोलता हूँ

रखकर गुरेज हर्फों की जादूगरी से
सादगी का शेरो में रंग घोलता हूँ

कुछ भी तो नही रखता दिल में छिपाकर
ज़ज्बात की गाँठ सरेआम खोलता हूँ

उस्तादों सी संजीदगी नही है मुझमे
मैं शागिर्दों की तरह मस्त डोलता हूँ

छेड़ता हूँ बेचैन फक्त दिलजलो को
खुशहालों का कलेजा कम छोलता हूँ


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