Friends

Sunday 25 November 2012

उस पर लिखे एक एक शेर हमे रुलाते है

दिल में यादों के नश्तर कुछ यूं सुई चुभाते है
उस पर लिखे एक एक शेर हमे रुलाते है

अश्क नही आँखों से अब लहू टपकने लगा है
क्या होगा हम बिगडती हालत से घबराते है

रकीब को भी ना मिले ऐसी तडफ-ओ-बेबसी
हम सजदे में दिन रात यही दुआ फरमाते है

मुझको तो इल्म नही है अपनी हालत का मगर
मुश्किल बचेगा देखने वाले ही बताते है

इश्क है तो बुरे ख्याल भी आयेंगे बेचैन
मानता नही जबकि मन को खूब समझाते है

No comments: