दिल में यादों के नश्तर कुछ यूं सुई चुभाते है
उस पर लिखे एक एक शेर हमे रुलाते है
अश्क नही आँखों से अब लहू टपकने लगा है
क्या होगा हम बिगडती हालत से घबराते है
रकीब को भी ना मिले ऐसी तडफ-ओ-बेबसी
हम सजदे में दिन रात यही दुआ फरमाते है
मुझको तो इल्म नही है अपनी हालत का मगर
मुश्किल बचेगा देखने वाले ही बताते है
इश्क है तो बुरे ख्याल भी आयेंगे बेचैन
मानता नही जबकि मन को खूब समझाते है
उस पर लिखे एक एक शेर हमे रुलाते है
अश्क नही आँखों से अब लहू टपकने लगा है
क्या होगा हम बिगडती हालत से घबराते है
रकीब को भी ना मिले ऐसी तडफ-ओ-बेबसी
हम सजदे में दिन रात यही दुआ फरमाते है
मुझको तो इल्म नही है अपनी हालत का मगर
मुश्किल बचेगा देखने वाले ही बताते है
इश्क है तो बुरे ख्याल भी आयेंगे बेचैन
मानता नही जबकि मन को खूब समझाते है
No comments:
Post a Comment