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Sunday 9 December 2012

दम निकलने को है आके जिंदगी दे दे

धडकनों को सकून लबो को हंसी दे दे
दम निकलने को है आके जिंदगी दे दे

कम न थी पहले ही हालात की उलझन
ऊपर से हिज्र दाता हयात से मुक्ति दे दे

ले चुका है मुझको आगोश में अँधेरा
मेरे हिस्से की मुझे कोई रौशनी दे दे

वादा है उम्र भर उफ़ तक ना करूंगा
तू बैठकर पास चाहे बेरुखी दे दे

वरना मरकर भी बेचैन रूह भटकेगी
तोड़ दूं चैन से दम इतनी ख़ुशी दे दे

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